भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को पारदर्शी और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ये दोनों प्रणालियाँ सरकारी योजनाओं के तहत लाभार्थियों तक सीधे लाभ पहुँचाने और भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करती हैं। इस लेख में हम PFMS और DBT के बारे में विस्तार से जानेंगे, इनसे मिलने वाले लाभ, पात्रता मानदंड और नवीनतम अपडेट्स पर चर्चा करेंगे।
PFMS क्या है?
पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (PFMS) एक वित्तीय प्रबंधन मंच है, जिसे भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने विकसित किया है। यह मंच सभी योजनाओं के लिए धनराशि के प्रवाह को ट्रैक करता है और लाभार्थियों तक सीधे भुगतान सुनिश्चित करता है। PFMS बैंकों, राज्य खजानों और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ एकीकृत है, जिससे धन का उपयोग पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से होता है।
PFMS के प्रमुख कार्य
- धनराशि का ट्रैकिंग: योजनाओं के तहत धनराशि का वास्तविक समय में पता लगाना।
- लाभार्थी डेटाबेस: सभी लाभार्थी एजेंसियों का डेटाबेस बनाए रखना।
- पारदर्शिता: भुगतान प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
- प्रत्यक्ष भुगतान: लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे भुगतान।
DBT क्या है?
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) एक ऐसी प्रणाली है, जिसके तहत सरकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी और नकद लाभ सीधे लाभार्थियों के आधार-लिंक्ड बैंक खातों में हस्तांतरित किए जाते हैं। DBT की शुरुआत 1 जनवरी 2013 को हुई थी, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार और मध्यस्थों की भूमिका को कम करना था। PFMS इस प्रक्रिया का मुख्य मंच है, जो DBT भुगतानों को सुचारू रूप से संचालित करता है।
DBT के लाभ
- पारदर्शिता और दक्षता: मध्यस्थों को हटाकर धन सीधे लाभार्थी तक पहुँचता है।
- भ्रष्टाचार में कमी: आधार-लिंक्ड खातों के कारण धन का दुरुपयोग कम होता है।
- तेजी से भुगतान: लाभार्थियों को समय पर भुगतान मिलता है।
- विस्तृत पहुँच: PM-KISAN, MGNREGA, और PAHAL जैसी योजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों तक लाभ।
PFMS और DBT से लाभ
PFMS और DBT ने सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को क्रांतिकारी बनाया है। कोविड-19 महामारी के दौरान इन प्रणालियों ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उदाहरण के लिए, मार्च 2020 में PFMS के माध्यम से एक ही दिन में 2.19 करोड़ DBT लेनदेन दर्ज किए गए, जिससे लाखों लोगों को तत्काल राहत मिली।
प्रमुख योजनाएँ जो PFMS और DBT का उपयोग करती हैं
- PM-KISAN: किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सहायता।
- MGNREGA: ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना।
- PAHAL: LPG सब्सिडी के लिए DBT।
- राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP): छात्रों के लिए स्कॉलरशिप।
पात्रता मानदंड
DBT योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कुछ सामान्य पात्रता मानदंड हैं, जो योजना के आधार पर भिन्न हो सकते हैं:
- आधार कार्ड: अधिकांश योजनाओं के लिए आधार-लिंक्ड बैंक खाता अनिवार्य है।
- बैंक खाता: लाभार्थी का सक्रिय बैंक खाता होना चाहिए।
- योजना-विशिष्ट शर्तें: उदाहरण के लिए, PM-KISAN के लिए लाभार्थी को छोटा या सीमांत किसान होना चाहिए।
- आयु और निवास: कुछ योजनाओं में आयु सीमा और निवास प्रमाण की आवश्यकता होती है।
लाभार्थी PFMS वेबसाइट (pfms.nic.in) पर जाकर अपनी पात्रता और भुगतान स्थिति की जाँच कर सकते हैं।
नवीनतम अपडेट्स
- डिजिटल भुगतान में वृद्धि: 2020-21 में PFMS के माध्यम से 47 करोड़ लाभार्थियों को 1,41,714 करोड़ रुपये का DBT हस्तांतरण किया गया।
- नई सुविधाएँ: PFMS ने डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) और इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट पेमेंट एडवाइस (ePA) जैसी सुविधाएँ जोड़ी हैं।
- एकीकरण: PFMS अब eGramSwaraj और PRIASoft जैसे प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत है, जिससे ग्राम पंचायतों के भुगतान आसान हुए हैं।
- DBT ट्रैकर: लाभार्थी PFMS वेबसाइट पर ‘DBT स्टेटस ट्रैकर’ के माध्यम से अपनी भुगतान स्थिति देख सकते हैं।
निष्कर्ष
PFMS और DBT ने भारत में सरकारी योजनाओं के वितरण को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल बनाया है। ये प्रणालियाँ न केवल लाभार्थियों को समय पर लाभ पहुँचाती हैं, बल्कि भ्रष्टाचार को कम करने में भी मदद करती हैं।
यदि आप किसी DBT योजना के लाभार्थी हैं, तो अपने आधार-लिंक्ड बैंक खाते की जाँच करें और PFMS वेबसाइट पर अपनी स्थिति ट्रैक करें। नवीनतम अपडेट्स के लिए नियमित रूप से आधिकारिक वेबसाइट (pfms.nic.in और dbtbharat.gov.in) पर जाएँ।